''गीता'' में लिखा है निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है ''तू नहीं''.......

By - Keshav Billore

''गीता'' में लिखा है निराश मत होना

 कमजोर तेरा वक्त है ''तू नहीं''....... 


  • क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
  • जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
  • तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
  • खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
  • परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
  • न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है – फिर तुम क्या हो?
  • तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।
  • जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।



मानव शरीर अस्थायी और आत्मा स्थायी है:
  • गीता के श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य के शरीर को महज  एक कपड़े का टुकड़ा बताया है। अर्थात एक ऐसा कपड़ा जिसे आत्मा हर जन्म में बदलती है। अर्थात मानव शरीर, आत्मा का अस्थायी वस्त्र है, जिसे हर जन्म में बदला जाता है।
  • इसका आशय यह है कि हमें शरीर से नहीं उसकी आत्मा से व्यक्ति की पहचान करनी चाहिए। जो लोग मनुष्य के शरीर से आर्कषित होते हैं या फिर मनुष्य के भीतरी मन को नहीं समझते हैं ऐसे लोगों के लिए गीता का यह उपदेश बड़ी सीख देने वाला है।

जीवन का एक मात्र सत्य है वो है मृत्यु:
  • गीता सार में श्री कृष्ण ने कहा है कि हर इंसान के द्धारा जन्म-मरण के चक्र को जान लेना बेहद आवश्यक है, क्योंकि मनुष्य के जीवन का मात्र एक ही सत्य है और वो है मृत्यु। क्योंकि जिस इंसान ने इस दुनिया में जन्म लिया है।
  • उसे एक दिन इस संसार को छोड़ कर जाना ही है और यही इस दुनिया का अटल सत्य है। लेकिन इस बात से भी नहीं नकारा जा सकता है कि हर इंसान अपनी मौत से भयभीत रहता है।

Comments

  1. Eisa kahin nhi likha hai dude.!!

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    1. bhai aap jao ache se phle pdho phir bolna geeta ke baare me

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    2. Lvde acche se hi pd rkhi h bsdk kuch ni likha esa Geeta me

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    3. Padhi hoti to tu yha aata hi nhi

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  2. Aisa konse shlok me likha hai... Zara btana to

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    1. Kahi bhi bhi likha ....sb gala t chize faila rhe hain...remove it

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    2. Likha yhi hai log iska glat translate krr rhe Ulta sidha meaning nikal rhe Iska real mere Hisaab s mtlb hai "NEVER LOSE HOPE UR.. SITUATIONS ARE BAD NOT YOUR WHOLE LIFE" SO FIGHT WITH IT. NOT THAT WAIT FOR GOOD SITUATIONS🙃

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  3. Asa kha likha hay mughe to nahi mila

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  4. Kha likha hai bhai btao na ....????
    Konsa shlok ,konsa aadhyaye?
    Mtlb yha se uthao vha chipkao ye shi hai

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  5. mc galt knowledge mt spread karoo gita ke baare me

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  6. Sale झूट बोल रहा है ऐसा तो कहीं भी नहीं लिखा है
    मैने पूरी गीता पढ़ी हैं

    8 साल से मेरे घर रोज सुबह गीता पाठ होता है

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    1. अध्याय ११ श्लोक २९ पेज ६९५
      jake pdho yrr jhutha aur ap sabd mt bolo geeta ke baare me

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    2. मैं लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ महाकाल हूँ। इस समय इन लोकों को नष्ट करने के प्रवृत्त हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं वे सब तेरे बिना भी नहीं रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध न करने पर भी इन सबका नाश हो जायेगा ।।

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  7. Geeta khol ka dekho kaha par likha ha .
    Geeta Gyan ko apobitra matkara jhota comment karaka

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  8. May be the first line not in Gita, but the rest of the material is very motivational and nicely presented

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  9. अध्याय ११ श्लोक २९ पेज ६९५
    जाओ देख लो बहुत ज्ञान दे रहे हो सब मैने ८ बार पढा है , ऐसा नही लिखा है जाओ पहले पढ के आओ ,फिर ज्ञान देना !!
    राधें राधें 🙏🏻

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  10. Kon Mon we read channel we aaye hai 🤔

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  11. yeh galat likha hai ...aisa kahi nhi likha hai ..jake GEETA padho fir ana gyan ch#dne

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